हम इन्सान अजीब होते हैं
सिर्फ़ कल्पनाओं से ही, सिर्फ़ मानसिक छवियाँ से ही, हम डर जाते हैं.
इतना डर जाते हैं के हम निस्तब्ध हो जाते हैं
क्या तुमने कभी कोई औरत को देखा है जिससे तुम मिलना चाहते हो, पर उसके पास जाकर बात करने में असमर्थ रहे?
क्या थी समस्या ?
आमतौर पर, यह डर है.
डर के वोह परेशान हो जायेगी तुम से, या फिर इस डर से के उसका कोई प्रेमी है, या फिर इस डर से के वोह शर्मिंदा हो जायेगी दूसरों के सामने, या फिर इस बात से डर के तुम्हें नहीं पता उससे क्या बातें किया जाए.
ज़ाहिर है, ऐसी ठोस डर की भावना तुम्हे निस्तब्ध कर देता है और तुम्हे बनाता है पूरी तरह से निष्प्रभावी
तो समाधान क्या है?
भय को दूर करने के कई तरीके हैं
एक तरीका है, उस चीज़ को करना जिससे तुम्हे डर लगता है. अगर आप ने वोह किया और पाया के कुछ बुरा नहीं होता, तो आप अंततः भय से पार हो जायेंगे
उदाहरण के लिए, यदि आप महिलाओं से मिलने और बात करने से डरते हैं, ठीक वोही कम करना.
अगले हफ्ते, जाओ ५० महिलाओं से बात करो. आप पाओगे के उन में से ज्यादातर महिलाओं की प्रतिक्रिया सकारात्मक होगी (तुम ने गधों जैसी हरकते नहीं की तो!)
कुछ और तरीके इस प्रकार हैं :
– पुरुष-महिला के अंतःक्रियाओं को महिलाओं से भी बेहतर समझना
– महिलाओं के साथ उन शब्दों और शरीर-भाषा का उपयोग करना जो कुशल पुरुष इस्तेमाल करते हैं
– ऐसी मानसिक तैयारी का उपयोग करना जिससे चाहे कुछ भी हो जाए, तुम उस के लिए तैयार हो